एक बार की बात है, बीरबल दरबार में अनुपस्थित थे। इस अवकाश का लाभ उठाते हुए, कुछ मंत्री महाराज अकबर के सामने बीरबल की प्रशंसा करने लगे, “महाराज, आप हमें अयोग्य समझते हैं। हर जिम्मेदारी को बस बीरबल को ही क्यों देते हैं?”
महाराज ने इसे सुलझाने के लिए उन्हें एक परीक्षा देने का निर्णय किया। उन्होंने कहा, “अगर तुम इस परीक्षा में सफल नहीं हुए, तो फांसी की सजा होगी।”
मंत्रीगण ने उसका स्वीकार कर लिया। एक सप्ताह की मोहलत में, वे बीरबल की जगह बनाने के लिए प्रयासरत थे। कई दिनों बाद, उन्होंने भी असफलता का सामना किया।
मंत्रीगण अब बहुत चिंतित थे। वे इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे थे। तभी उन्होंने बीरबल की ओर मोड़ दिया। बीरबल ने सबको संबोधित किया, “मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूं, लेकिन मेरे तरीके से।”
उन्होंने एक ऐसा समाधान निकाला जिससे वे परीक्षा में सफल हो सकते थे। एक सप्ताह के बाद, उन्होंने बीरबल के साथ दरबार में जवाब दिया।
महाराज ने पूछा, “दुनिया की सबसे बड़ी चीज क्या है?”
बीरबल ने उत्तर दिया, “महाराज, दुनिया की सबसे बड़ी चीज ‘समर्थन’ होती है। समर्थन के बिना कोई भी महान उपलब्धि हासिल नहीं कर सकता।”
इस उत्तर ने महाराज को प्रसन्न किया और मंत्रीगणों को भी शर्मिंदा कर दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी और की क्षमताओं से जलने की बजाय, उनसे सीखना और अपने कौशल को समृद्ध करने का प्रयास करना चाहिए।