कहानियाँ हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाने का एक सुंदर माध्यम होती हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे संकट के समय में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।
कहानी: संकट में बुद्धिमत्ता
एक हरे-भरे जंगल में सभी जानवर आपस में मिलजुल कर रहते थे। उस जंगल के बीचों-बीच एक विशाल तालाब था, जिसमें एक मगरमच्छ रहता था। तालाब के किनारे पर अनेक फलों के पेड़ थे और उन्हीं में से एक पेड़ पर एक बंदर रहता था। बंदर और मगरमच्छ गहरे दोस्त थे।
बंदर रोज़ पेड़ से मीठे फल खाता और अपने दोस्त मगरमच्छ को भी खिलाता। बदले में, मगरमच्छ बंदर को अपनी पीठ पर बैठाकर तालाब की सैर कराता। उनकी दोस्ती दिन-ब-दिन मजबूत होती गई। मगरमच्छ बंदर के दिए फल अपनी पत्नी को भी खिलाता और वे दोनों उन फलों का आनंद लेते।
एक दिन, मगरमच्छ की पत्नी ने कहा, “बंदर रोज़ स्वादिष्ट फल खाता है, सोचो उसका कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा!” उसने मगरमच्छ से बंदर का कलेजा लाने की ज़िद की। मगरमच्छ ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, पर वह नहीं मानी और रूठ गई। आखिरकार, मगरमच्छ ने उसे वादा किया कि वह अगले दिन बंदर को ले आएगा।
अगले दिन, बंदर हमेशा की तरह मगरमच्छ के आने का इंतजार कर रहा था। मगरमच्छ आया और दोनों ने मिलकर फल खाए। फिर मगरमच्छ ने कहा, “मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है, चलो तालाब की दूसरी ओर मेरे घर चलते हैं।” बंदर खुशी-खुशी उसकी पीठ पर बैठ गया।
तालाब के बीच पहुँचते ही, मगरमच्छ ने बंदर को अपनी पत्नी की इच्छा बताई और कहा, “मेरी पत्नी तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है।” यह सुनकर बंदर सोच में पड़ गया। उसने कहा, “मित्र, तुमने मुझे यह पहले क्यों नहीं बताया? मेरा कलेजा तो पेड़ पर ही रह गया है। मुझे वापस ले चलो, मैं अपना कलेजा ले आऊंगा।”
मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और वापस किनारे पर आ गया। जैसे ही किनारे पर पहुंचे, बंदर झट से पेड़ पर चढ़ गया और बोला, “मूर्ख, तुम्हें पता नहीं कि कलेजा हमारे अंदर ही होता है। मैं हमेशा तुम्हारा भला सोचता रहा और तुम मुझे ही खाने चले थे। कैसी मित्रता है यह तुम्हारी? अब चले जाओ यहां से।”
मगरमच्छ अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा हुआ और बंदर से माफी मांगी, लेकिन अब बंदर उसकी बातों में नहीं आया।
कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय हमें घबराना नहीं चाहिए। मुसीबत के समय अपनी बुद्धि का उपयोग कर उसे दूर करने का उपाय सोचना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर:
- इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
- इस कहानी का मुख्य संदेश है कि संकट के समय में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।
- मगरमच्छ की पत्नी ने क्या इच्छा जताई?
- मगरमच्छ की पत्नी ने बंदर का कलेजा खाने की इच्छा जताई।
- बंदर ने मगरमच्छ को कैसे धोखा दिया?
- बंदर ने कहा कि उसका कलेजा पेड़ पर रह गया है और उसे लेने के लिए वापस जाना पड़ेगा, जिससे वह खुद को बचा सका।
- बंदर ने मगरमच्छ को क्या सीख दी?
- बंदर ने मगरमच्छ को यह सीख दी कि संकट के समय में बुद्धि और चतुराई से काम लेना चाहिए।
- इस कहानी से आपको क्या सीखने को मिला?
- इस कहानी से यह सीखने को मिला कि किसी भी मुसीबत के समय घबराना नहीं चाहिए और समस्या का समाधान बुद्धिमानी से निकालना चाहिए।