स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – अपनी भाषा पर गर्व

स्वामी विवेकानंद, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रमुख स्तंभ, न केवल अपने ज्ञान और दर्शन के लिए बल्कि अपनी विनम्रता और मातृभाषा के प्रति प्रेम के लिए भी जाने जाते हैं। यह कहानी उन दिनों की है जब स्वामी विदेश यात्रा पर गए थे और वहां उन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति का अद्भुत सम्मान किया। यह कहानी हमें बताती है कि हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए और उसका आदर करना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी – अपनी भाषा पर गर्व

स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा पर थे और वहां उनकी प्रतिष्ठा और ज्ञान के प्रति आदर प्रकट करने के लिए कई लोग आए थे। कुछ लोगों ने स्वामी से हाथ मिलाना चाहा और कुछ ने अंग्रेजी में ‘हेलो’ कहा। स्वामी विवेकानंद ने जवाब में सबको हाथ जोड़कर नमस्कार किया।

यह देखकर कुछ लोगों ने सोचा कि स्वामी को अंग्रेजी नहीं आती है, इसलिए वे नमस्ते कह रहे हैं। इसी सोच के साथ, भीड़ में से एक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद से हिंदी में पूछा, “आप कैसे हैं?” स्वामी ने मुस्कुराते हुए अंग्रेजी में जवाब दिया, “आई एम फाइन, थैंक यू।”

स्वामी विवेकानंद का अंग्रेजी में जवाब सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग चकित रह गए। उन्होंने सोचा कि जब उनसे अंग्रेजी में पूछा गया तो उन्होंने हिंदी में उत्तर दिया, और हिंदी में प्रश्न पूछने पर उन्होंने अंग्रेजी में जवाब दिया। आखिर क्यों?

एक व्यक्ति ने यह सवाल स्वामी विवेकानंद से पूछ ही लिया। स्वामी ने बड़ी ही विनम्रता से उत्तर दिया, “जब आप लोगों ने अंग्रेजी में बात की, तो आपने अपनी भाषा का सम्मान किया। मैंने अपनी भाषा को मां मानकर उनका सम्मान करते हुए हिंदी में उत्तर दिया।”

स्वामी विवेकानंद की इस बात को सुनकर वहां उपस्थित सारे लोग आश्चर्यचकित हो गए। उस क्षण से हिंदी भाषा को पूरे विश्व में अधिक सम्मान मिलने लगा। इस घटना से स्वामी विवेकानंद का अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति गहरा प्यार और सम्मान स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

कहानी की सीख

हमेशा अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए और उस पर गर्व महसूस करना चाहिए। साथ ही अन्य भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए ताकि हम दूसरों की बात समझ सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. स्वामी विवेकानंद ने किस प्रकार से अपनी भाषा का सम्मान किया?
  • स्वामी विवेकानंद ने विदेशी लोगों से अंग्रेजी में पूछे गए सवाल का हिंदी में उत्तर देकर अपनी भाषा का सम्मान किया।
  1. स्वामी विवेकानंद का अंग्रेजी में उत्तर देने का उद्देश्य क्या था?
  • स्वामी विवेकानंद ने इंग्लिश में उत्तर देकर यह दिखाया कि उन्हें अंग्रेजी का ज्ञान है, लेकिन उन्होंने अपनी मातृभाषा को सम्मान देना अधिक महत्वपूर्ण समझा।
  1. विदेशियों की स्वामी विवेकानंद की प्रतिक्रिया पर क्या प्रतिक्रिया थी?
  • विदेशी लोग स्वामी विवेकानंद की विनम्रता और अपनी भाषा के प्रति उनके सम्मान से बहुत प्रभावित हुए।
  1. इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
  • इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए और उस पर गर्व महसूस करना चाहिए, साथ ही अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए।
  1. स्वामी विवेकानंद का संदेश क्या था?
  • स्वामी विवेकानंद का संदेश था कि अपनी भाषा और संस्कृति का आदर करना चाहिए और उसे मां के समान सम्मान देना चाहिए।
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